9 सितंबर 2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने 452 पहले वरीयता वोट पाकर इंडिया ब्लॉक के बी. सुदर्शन रेड्डी (300) को हराया। तीन दल वोटिंग से बाहर रहे, जिससे जीत का रास्ता और आसान हुआ। गिनती सिंगल ट्रांसफरेबल वोट पद्धति से हुई। अब नई जिम्मेदारी राज्यसभा की कार्यवाही संभालने की है।
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 – क्या आप तैयार हैं?
भारत में हर पाँच साल में एक बार उपराष्ट्रपति का चुनाव होता है और इस बार भी उम्मीदें काफी हाई हैं। लोग जानना चाहते हैं कि कौन-कौनसे नाम दावेदारों की लिस्ट में हैं, वोटिंग कैसे होगी और परिणाम कब आएगा। इस पेज पर हम सभी जरूरी जानकारी एक जगह इकट्ठा कर रहे हैं, ताकि आप बिना दिक्कत के अपडेट रह सकें।
मुख्य तिथियां और प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति चुनाव का एनोउंसमेंट सामान्यतः चुनाव आयोग के द्वारा किया जाता है। 2025 में एनोउंसमेंट की तिथि अभी आधी-आधिकारिक है, लेकिन अनुमान है कि मार्च के मध्य में आएगा। नामांकन फॉर्म भरने की आख़िरी तिथि आम तौर पर एनोउंसमेंट के दो हफ्ते बाद होती है, और मतदान के लिए संसद के दोनों सभाएं (लोकसभा और राज्यसभा) मिलकर एलेक्शन को प्रॉक्सी या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कराती हैं।
वोटिंग सिंगल ट्रांसफ़रेबल वोट (STV) प्रणाली से होती है, जिससे सबसे ज्यादा रैंकिंग वाले उम्मीदवार को विजेता माना जाता है। अगर कोई उम्मीदवार पहले ही राउंड में क़ॉर्टियाला प्राप्त कर लेता है, तो आगे की गिनती नहीं होती। यह प्रक्रिया कई बार दोहराई जा सकती है, पर आम तौर पर दो-तीन राउंड में ही फैसला हो जाता है।
उम्मीदवारों के प्रमुख मुद्दे
इस बार कई प्रमुख व्यक्तियों ने अपने-अपने एग्जीक्यूटिव या सामाजिक काम के आधार पर नामांकन किया है। कुछ उम्मीदवार संसद में अनुभव और विधायी समझ के कारण लोकप्रिय हैं, जबकि अन्य शिक्षा, स्वास्थ्य या पर्यावरण जैसे मुद्दों को लेकर अभियान चलाते दिखे हैं। उन लोगों के लिए जो नयी पीढ़ी के नेता चाहते हैं, युवा प्रतिनिधियों के समर्थन पर भी खास ध्यान देना चाहिए।
हर उम्मीदवार का एलाइमेंट पार्टी के साथ या बिना हो सकता है। गठबंधन की स्थिति, पिछले चुनावों में उनके वोट शेयर, और उनके प्रमुख ब्रीफ़िंग पॉइंट्स को समझना जरूरी है। यदि आप वोट देने वाले हैं, तो अपने प्रतिनिधियों से मिलने या ऑनलाइन ब्रीफ़िंग में भाग लेकर इन सभी पहलुओं को साफ़ कर सकते हैं।
निजी तौर पर चुनाव का असर आपके दैनिक जीवन पर भी पड़ता है। उपराष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों में मध्यस्थता का काम करता है, इसलिए उनके विचारों से राजनीतिक स्थिरता या अस्थिरता दोनों ही चुनती हैं। इस कारण से आप इस चुनाव को सिर्फ एक एसेम्बली वोट नहीं, बल्कि देश की दिशा तय करने वाला कदम समझ सकते हैं।
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