US फ़ेड नीति की आशंका से 17 सितंबर को सोने‑चांदी के भाव में तेज गिरावट

US फ़ेड नीति की आशंका से 17 सितंबर को सोने‑चांदी के भाव में तेज गिरावट

बाजार में क्या हुआ?

17 सितंबर को भारतीय सोने‑चांदी के बाजार में अचानक गिरावट आई। gold price को देखते हुए MCX पर 10 ग्राम का फ्यूचर 1,09,900 रुपये पर बंद हुआ, जो पिछले दिन के रिकॉर्ड स्तर से 0.23 % नीचे है। चांदी का फ्यूचर 1 किलोग्राम पर 1,27,503 रुपये की कीमत पर आ गया, जो 1.02 % की गिरावट दर्शाता है। यह गिरावट सिर्फ़ संख्यात्मक नहीं, बल्कि निवेशकों की मनोस्थिति में बदलाव का प्रतीक है।

रिटेल मोड़ पर 24‑कैरेट सोने की कीमतें भी बिखर कर रही थीं। मुंबई के कुछ प्लेटफ़ॉर्म ने 10 ग्राम को 1,11,710 रुपये बताया, जबकि अन्य ने 1 ग्राम के हिसाब से 11,171 रुपये (पिछले दिन से 22 रुपये कम) की रिपोर्ट की। 22‑कैरेट सोने की कीमतें 10 ग्राम पर 1,02,400 रुपये और 1 ग्राम पर 10,240 रुपये (पिछले दिन से 20 रुपये कम) के आसपास थी। चांदी का रिटेल भाव कुछ बाजारों में 1,32,000 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो फ्यूचर की गिरावट के साथ तालमेल में था।

इन सभी आँकड़ों के पीछे एक ही कारण मुख्य रूप से उजागर होता है – अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की मौद्रिक नीति की घोषणा का इंतज़ार। ट्रेडर इस बात को लेकर बेचैनी में थे कि फेड ब्याज दरों में 25 या 50 बेसिस पॉइंट की कटौती करेगा या नहीं। कम ब्याज दरें आमतौर पर सोने जैसी ब्याज‑रहित धातुओं को अधिक आकर्षक बनाती हैं, इसलिए डिफ़ॉल्ट रूप से निवेशकों ने पहले से जमा हुए लाभ को लॉक करने के लिए बेच‑फेर शुरू कर दी।

अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर स्पॉट सोने का भाव $3,694.60 प्रति औंस रहा, जो 0.48 % की मामूली बढ़ोतरी दिखाता है। जबकि भारत में फ्यूचर नीचे जा रहे थे, अंतरराष्ट्रीय बाजार में थोड़ी‑सी उछाल ने संकेत दिया कि वैश्विक निवेशकों की भावना अभी भी थोड़ी‑सी सकारात्मक है। सोना‑चांदी अनुपात 86.68 रहा, जो यह बताता है कि दोनों धातुओं में कीमतों का अंतर अब भी बड़ा नहीं हो रहा।

आगे का रास्ता और विशेषज्ञ दृष्टिकोण

आगे का रास्ता और विशेषज्ञ दृष्टिकोण

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस छोटे‑से गिरावट का मुख्य कारण लाभ‑उठाना ही था, न कि मूलभूत मांग‑आपूर्ति का। दीर्घकालीन दृष्टिकोण अभी भी उज्ज्वल है। कुछ बैंकरों का अनुमान है कि अगले छह महीने में चांदी 1,35,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुँचेगी, और एक साल में 1,50,000 रुपये की सीमा पार कर सकती है, बशर्ते रूपी का डॉलर के मुकाबले 88.5 के आसपास बना रहे।

भारतीय त्योहारी सीज़न भी इस धारणा को समर्थन दे रहा है। शादी‑ब्याह, दिवाली और अन्य त्योहारों में सोने‑चांदी की मांग आम तौर पर बढ़ जाती है। कीमतों में गिरावट से ज्वेलरी निर्माता कम लागत में माल तैयार कर सकते हैं, जिससे अंततः उपभोक्ताओं की खरीदारी में इज़ाफ़ा हो सकता है।

फेड की घोषणा अभी भी अनिश्चितता का कारक है। यदि फेड की बयानबाजी में कड़ा‑रुख दिखेगा, तो निवेशक फिर से लाभ‑उठाना शुरू कर सकते हैं और कीमतें और नीचे जा सकती हैं। वहीं अगर फेड दर‑कट की उम्मीद को पुष्ट करता है, तो सोने‑चांदी की मौजूदा गिरावट को जल्दी ही उलटने की संभावना है।

तकनीकी रूप से देखें तो अंतरराष्ट्रीय सोने के समर्थन स्तर $3,620‑$3,570 पर हैं, और प्रतिरोध $3,720‑$3,750 के करीब है। भारत में ये स्तर 1,12,000‑1,12,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के रूप में दर्शाए जा सकते हैं। इस दायरे के भीतर आगे की चालों का विश्लेषण निवेशकों को बेहतर निर्णय लेने में मदद करेगा।

  • आगामी 6 महीनों में चांदी के लक्ष्य मूल्य: 1,35,000 रुपये/किग्रा
  • आगामी 12 महीनों में चांदी के लक्ष्य मूल्य: 1,50,000 रुपये/किग्रा
  • भविष्य में सोने के समर्थन स्तर: $3,620‑$3,570
  • भविष्य में सोने के प्रतिरोध स्तर: $3,720‑$3,750

समग्र रूप से, बाजार में अभी भी कई अनिश्चितताएँ हैं, परन्तु मौसमी मांग और फेड की संभावित दर‑कट दोनों ही धातुओं को समर्थन देने वाले कारक हैं। ट्रेडर को चाहिए कि वे छोटे‑छोटे संकेतों पर नज़र रखें, लेकिन दीर्घकालिक योजना बनाते समय मौसमी रुझान और अंतरराष्ट्रीय मूल्य प्रवाह को ध्यान में रखें।