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एटा में खुदाई के दौरान मिले गुप्त मंदिरों के अवशेष, बुजुर्गों ने किया ये बड़ा दावा

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एटा समाचार: एटा जिले में भारतीय पुरातत्व विभाग की खुदाई में गुप्त काल के 5वीं शताब्दी के मंदिरों के अवशेष मिलने के बाद भारतीय पुरातत्व विभाग हरकत में आ गया है। एएसआई की टीम ने स्थानीय जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ आज एटा जिले के बिलसाड गांव का निरीक्षण किया और जेसीबी चलाकर भारतीय पुरातत्व विभाग की चिन्हित जमीन को कब्जे से मुक्त कराया. इस जमीन पर खुदाई में मिले अवशेषों की जांच के बाद उनके लिए स्मारक बनाने की बात कही जा रही है.

एटा में गुप्त काल के 5वीं शताब्दी के मंदिरों के अवशेष मिलने के बाद अब एटा का बिलसाध शहर भारतीय पर्यटन के पैनल में जाना जाएगा और यह एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित होगा, जहां पर्यटक गुप्त वास्तुकला और इतिहास को जान सकेंगे। . एटा के बिलसाध कस्बे के संरक्षित परिसर में पिछले साल एएसआई की टीम द्वारा एक टीले की खुदाई की गई थी। खुदाई में 5वीं सदी के मंदिर की सीढ़ियां, स्तंभ, चबूतरे और शंख में शिलालेख मिले हैं। खंभों पर मानव आकृतियों, हाथियों और अन्य नदियों आदि की आकृतियां हैं। आस-पास मकान होने के कारण एएसआई को यह खुदाई बीच में ही रोकनी पड़ी। जानकारों का कहना है कि पूरा बिलसाध शहर एक बड़े टीले पर स्थित है और अगर इसकी पूरी तरह से खुदाई की जाए तो इसमें गुप्त काल की संस्कृति और स्थापत्य शैली उभर सकती है।

यह बात उप जिला अधिकारी ने कही

इस संबंध में अलीगंज के तत्कालीन उप जिला अधिकारी एसपी वर्मा ने बताया था कि पूरा बिलसाध नगर तीन भागों में है. ये हैं बिलसाद पचाया, बिलसाद पुवायं और बिलसाद पट्टी। इन तीनों को मिलाकर इसे बिलसाध कहते हैं। इसका दूसरा नाम भी बिरियागढ़ है। यहां पांचवीं शताब्दी के गुप्त काल के अवशेष मिले हैं। इसके साथ ही बिलसाध का नाम भारत में पर्यटन के मानचित्र पर आ जाएगा। इसमें संग्रहालय बनाने का भी प्रस्ताव है। इससे पर्यटन और रोजगार के नए साधन उपलब्ध होंगे। यह राष्ट्रीय महत्व की विरासत है। एसडीएम ने बताया कि इस जगह की चारदीवारी बनाकर एएसआई को भेजा जाएगा। स्थानीय प्रशासन और पुलिस का पूरा सहयोग रहेगा।

भारतीय इतिहास पर एक नजर

भारतीय इतिहास पर नजर डालें तो गुप्त वंश की स्थापना महाराज श्री गुप्त ने लगभग 275 ई. कुमार गुप्त पांचवीं शताब्दी में चंद्रगुप्त द्वितीय के बाद पहली बार सिंहासन पर बैठा। एटा में उसी समय के 5वीं शताब्दी के मंदिरों के अवशेषों की खुदाई की गई है। गुप्त काल में एटा के भीलसाड़ अभिलेखों का उल्लेख मिलता है, जो एटा के बिलसाद के हैं। भीलसाड अभिलेख गुप्त काल के प्रथम अभिलेख हैं जिन पर गुप्त वंश की तिथि 96-415 ई. अंकित है। यह भीलसाड भारत में उत्तर प्रदेश के एटा जिले में स्थित है। कुमार गुप्त प्रथम तक गुप्त राजाओं की वंशावली भी यहाँ पाई गई है। स्वामी (महासेन) कार्तिकेय के मंदिर और धर्म संघ का उल्लेख ध्रुव शर्मा नामक ब्राह्मण द्वारा किया जा रहा है। कुमार गुप्त का शासन व्यापक रूप से बंगाल, पश्चिमी भारत, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कामरूप तक फैला हुआ था। एटा में मिले ये गुप्त कालीन अवशेष गुप्त काल के इतिहास, संस्कृति और वास्तुकला के बारे में एक नए इतिहास की जानकारी भी देंगे।

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