भरंदा एनकाउंटर केस: नक्सलियों ने नारायणपुर में पुलिस से मुठभेड़ की घटना को पर्चा जारी कर खारिज किया है. नक्सलियों ने पुलिस पर एक मासूम ग्रामीण की हत्या कर मनगढ़ंत कहानी रचने का आरोप लगाया है. गौरतलब है कि नारायणपुर जिले के भरंदा गांव में पुलिस नक्सली मुठभेड़ पर शुरू से ही सवाल उठ रहे हैं. नक्सलियों ने फॉर्म जारी कर कहा है कि इससे पहले भी सिपाही फर्जी मुठभेड़ में ग्रामीणों को मार चुके हैं. फॉर्म नक्सली संगठन की उत्तर बस्तर संभाग समिति ने जारी किया है. 24 जनवरी को नक्सलियों ने लिखा है कि किसी दलम से पुलिस मुठभेड़ नहीं हुई है.
पैम्फलेट में लिखा है कि भरंदा गांव के ग्रामीण मनुराम नुरेती दोस्तों के साथ शिकार पर निकले थे और इस दौरान सिपाहियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर उन्हें मार डाला. साथ ही उसे इनामी नक्सली बताकर मौके से कुकर बम, पिठू और भरवां बंदूकें, नक्सल साहित्य बरामद करने जैसी झूठी कहानी गढ़ी. पर्चे के मुताबिक बस्तर पुलिस के जरिए फर्जी मुठभेड़ का पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी सरकिंगुडा, एडेसमेटा, तड़बल्ला, गुम्मरका और सिलगर गांवों में सैनिकों द्वारा नरसंहार की घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है. घटनाओं का जिक्र करते हुए साल 2014 में भी कांकेर जिले के भटनार इलाके में शिकार पर निकले दो ग्रामीणों को नक्सलियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी. 2017 में नक्सलियों ने गट्टाकल गांव में शिकार पर गए ग्रामीणों पर फायरिंग कर एक ग्रामीण की हत्या करने का आरोप जवानों पर लगाया है. नारायणपुर के भरंदा गांव में कथित मुठभेड़ को पूरी तरह फर्जी बताते हुए नक्सलियों ने घटना की कड़ी निंदा की है.
मृतक के परिजनों ने पुलिस नक्सली पर उठाए सवाल
मृतक के परिजनों ने पुलिस पर एनकाउंटर को फर्जी बताकर मासूम ग्रामीण की हत्या करने का आरोप लगाया है. परिजनों का कहना है कि शिकार पर निकले मनुराम नुरेती को जवानों ने अंधाधुंध फायरिंग कर मार डाला. उन्होंने घटना की जांच के दौरान दोषियों को सजा दिलाने की भी मांग की है। इस मामले में बीजेपी ने जांच टीम गठित कर आलाकमान को रिपोर्ट सौंपकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. बीजेपी की मांग है कि मृतक के परिजनों को सरकार की ओर से मुआवजा राशि मिले.
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आईजी बोले- नक्सलियों से हुई थी मुठभेड़
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने भी जांच में माना कि क्रॉस फायरिंग में मनुराम नुरेती की मौत हुई है. उनका कहना है कि मुठभेड़ के दौरान मनुराम को एक गोली लगी और उनकी मौके पर ही मौत हो गई. आईजी ने विभागीय जांच कराने की भी बात कही है और कहा है कि इसके लिए सरकार की ओर से मुआवजे की राशि का प्रावधान है. आईजी ने बताया कि नक्सलियों की सूचना मिलने पर पुलिस भंडारा के जंगलों में गई थी और पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई थी. उन्होंने कहा कि नक्सली ग्रामीणों को मित्रवत बताने के लिए एक फॉर्म जारी कर मुठभेड़ से इनकार कर रहे हैं, लेकिन डीआरजी जवानों और पुलिस के बीच गोलीबारी करीब एक घंटे तक चली और पुलिस की कार्रवाई से भयभीत होकर नक्सली भाग गए.
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