मथुरा समाचार: मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक के विवाद पर बुधवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सुनवाई करीब एक घंटे तक चली. जिसमें दोनों पक्षों की ओर से दलीलें पेश की गईं। इस दौरान कोर्ट में श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान, श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, शाही ईदगाह मस्जिद, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड समेत अन्य पक्ष मौजूद रहे. इस मामले पर अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी।
दोनों पक्षों द्वारा न्यायालय के समक्ष रखे गए तर्क
बुधवार को सीनियर जज सिविल डिवीजन ज्योति सिंह ने पूरे मामले की सुनवाई की, जिसमें दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं. श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि विवादित स्थल की स्थिति को बनाए रखा जाए और उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ न की जाए, इसलिए स्थापना कर वास्तविक स्थिति की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी की जाए. विवादित स्थल पर कमीशन उन्होंने अदालत के समक्ष आपत्ति जताई कि मुस्लिम पक्ष मस्जिद की दीवारों पर स्थापित शंख, चक्र जैसे हिंदू वास्तुकला के साक्ष्य को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है। साथ ही शाही ईदगाह मस्जिद में नमाज पर रोक लगाने की मांग की।
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन को मुक्त कराने और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के लिए अब तक करीब 10 दावेदार कोर्ट में पेश हो चुके हैं. पहले दावे को अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह की अदालत ने स्वीकार कर लिया। इस मामले को चलते हुए 2 साल से ज्यादा का समय हो गया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में संत समाज भी मौजूद रहे। संतों का कहना है कि हिंदू अधिवक्ता दूसरे पक्ष का केस लड़ रहे हैं, जिससे वे निराश हैं। कम से कम हिन्दू अधिवक्ता श्री कृष्ण जन्मभूमि की खातिर दूसरे पक्ष की सुनवाई से खुद को अलग कर लें।
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