वनडे क्रिकेट में बांग्लादेश की पहली जीत: बांग्लादेश क्रिकेट टीम का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण 31 मार्च 1986 को हुआ था। एशिया कप में उनका सामना पाकिस्तान टीम से हुआ था। इस मैच में बांग्लादेश की टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए महज 94 रन पर ऑलआउट हो गई, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने 3 विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। इस मैच में बांग्लादेश के लिए ये बड़ी बात थी कि उन्होंने पाकिस्तान जैसी मजबूत टीम के 3 विकेट गिराए. इस मैच के बाद क्रिकेट जगत को इस नई टीम से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन लंबे समय तक बांग्ला टीम इस उम्मीद पर खरी नहीं उतर पाई.
12 साल में लगातार 22 मैच गंवाए
इस एशिया कप मैच के बाद बांग्लादेश ने अगले 12 साल में 21 मैच खेले, लेकिन किसी भी मैच में यह टीम विपक्षी टीम को टक्कर नहीं दे पाई। बांग्ला टीम ने ये सभी मैच एकतरफा अंदाज में गंवाए। इस दौरान क्रिकेट जगत की महान टीमों के साथ-साथ जिम्बाब्वे और केन्या जैसी टीमों ने भी बांग्लादेश को लगातार वनडे मैचों में मात दी। लगातार 22 हार के बाद बांग्लादेश की टीम को आखिरकार पहली बार पहले वनडे में जीत मिली. उन्हें यह जीत केन्या के खिलाफ मिली थी।
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केन्या के खिलाफ पहली अंतरराष्ट्रीय जीत
भारत-केन्या और बांग्लादेश की त्रिकोणीय श्रृंखला में 17 मई 1998 को बांग्ला टीम के लिए एक ऐतिहासिक दिन आया। हैदराबाद के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में बांग्लादेश और केन्या आमने-सामने थे। बांग्ला टीम के गेंदबाजों ने केन्या की टीम को पहले 236 रन पर ऑलआउट कर दिया और बाद में सलामी बल्लेबाजों के दमदार प्रदर्शन के दम पर अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय जीत हासिल की। इस मैच में बांग्ला के सलामी बल्लेबाज अतहर अली खान और मोहम्मद रफीक ने पहले विकेट के लिए 137 रन की साझेदारी की. यह साझेदारी टीम की पहली एकदिवसीय जीत की नींव थी। बांग्ला टीम ने यह मैच 12 गेंद शेष रहते 6 विकेट से जीत लिया।
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बांग्लादेश के नाम लगातार 47 मैच नहीं जीतने का रिकॉर्ड है।
17 मई 1998 को ऐतिहासिक जीत के बाद भी बांग्लादेश क्रिकेट टीम की स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं आया। इसके बाद खेले गए 47 मैचों में वह एक बार भी नहीं जीत सके। 1999 से 2003 के बीच हुए इन 47 मैचों में 2 मैच बेनतीजा रहे और 45 मैचों में बांग्ला टीम को हार का सामना करना पड़ा.
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