डीयू शिक्षक संघ:दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेज आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. ये सभी 12 कॉलेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। इन कॉलेजों के शिक्षकों का कहना है कि दिल्ली सरकार उन्हें उनके वेतन के अधिकार से वंचित कर रही है. ये कॉलेज शिक्षकों के वेतन के अलावा पिछले दो साल से मेडिकल बिल, विभिन्न भत्ते, सातवें वेतन आयोग का बकाया भी नहीं भर पा रहे हैं. कॉलेजों की बदहाली को लेकर दिल्ली सरकार के खिलाफ गुरुवार को एक दिवसीय हड़ताल के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) के नेतृत्व में शुक्रवार को ऑनलाइन जनसुनवाई का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में प्रमुख सांसद प्रो मनोज झा, रवनीत बिट्टू, दिल्ली विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद के सदस्य और अधिवक्ता अशोक अग्रवाल, मोनिका अरोड़ा, राजपाल, आर्यभट्ट कॉलेज के प्राचार्य प्रो मनोज सिंघा और दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने भी भाग लिया.
डूटा के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने कहा कि डूटा अधिकारियों के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम का मकसद आम लोगों को स्थिति से अवगत कराना है. उन्होंने बताया कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार कोरोना संकट की घड़ी में शिक्षकों और कर्मचारियों के प्रति अमानवीय रवैया अपना रही है, यह किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है. डूटा अध्यक्ष ने कहा कि उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इन 12 सरकारी कॉलेजों की स्वायत्तता का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है.
प्रो. भागी ने कहा कि सरकार कह रही है कि हमने अनुदान जारी कर दिया है, जबकि स्थिति सबके सामने है. सरकार फंड जारी करने की बात कर रही है, यह नाकाफी है। केजरीवाल सरकार ने इन कॉलेजों को आत्मनिर्भर मोड में लाने और उन पर नियंत्रण करने के लिए अनावश्यक धन में कटौती की है, जो अस्वीकार्य है। दिल्ली सरकार द्वारा सहायता प्राप्त 12 कॉलेजों में शिक्षकों, कर्मचारियों का दो से चार महीने का वेतन आज भी लंबित है और अन्य भुगतान जैसे चिकित्सा बिल, विभिन्न भत्ते और पेंशन आदि पिछले दो वर्षों से लंबित हैं.
कॉलेजों को आर्थिक रूप से बीमार करने की कोशिश कर रही सरकार
वेतन का भुगतान न करना जीविकोपार्जन के अधिकार के विरुद्ध है
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