अखबार विक्रेता बेटी: आज भी महिलाओं को देश में अपनी जगह बनाने के लिए काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। खेल, व्यवसाय जैसे कई क्षेत्र हैं जहां बहुत कम महिलाएं प्रगति कर पाती हैं। ऐसे में गुजरात की अक्षदा दलवी ने अपनी मेहनत से समाज और रूढि़वादी सोच दोनों पर तमाचा जड़ दिया है. दरअसल गुजरात के वडोदरा में एक अखबार विक्रेता की बेटी अक्षदा दलवी ने इंटरनेशनल किक बॉक्सिंग के लिए क्वालीफाई किया है।
अक्षदा ने बताया कि उन्हें बचपन से ही किक बॉक्सिंग का शौक था और उन्होंने पांचवीं कक्षा से कराटे सीखना शुरू कर दिया था। अक्षदा ने भी अपने पहले नेशनल में गोल्ड मेडल जीतकर पूरे देश को गौरवान्वित किया है। एएनआई से अपने बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “जब मैंने पांचवीं कक्षा पास की, तो मैंने कराटे सीखा, उसके एक साल बाद मैंने किक बॉक्सिंग शुरू की और वहां से मुझे प्रेरणा मिली कि मैं अब अंतरराष्ट्रीय खेलना चाहता हूं।” अक्षदा ने कहा कि मेरे कोच मुझे बहुत अच्छी ट्रेनिंग देते हैं। साथ ही, परिवार के सदस्यों ने हमेशा स्पोर्ट किया है।
गुजरात: वडोदरा के एक अखबार विक्रेता की बेटी ने अंतरराष्ट्रीय किक बॉक्सिंग के लिए क्वालीफाई किया है.
किक बॉक्सर अक्षदा दलवी ने कहा, “जब मैंने 5वीं कक्षा पास की, मैंने कराटे सीखा, उसके एक साल बाद मैंने किकबॉक्सिंग शुरू की। मैंने अपने पहले राष्ट्रीय में स्वर्ण पदक जीता।” pic.twitter.com/4Yg8yf6t0I
– ANI_HindiNews (@AHindinews) 18 दिसंबर, 2021
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है किकबॉक्सिंग
आपको बता दें कि किकबॉक्सिंग एरोबिक व्यायाम का एक रूप है, जिसमें मिश्रित मार्शल आर्ट तकनीकों का उपयोग किया जाता है। यह एक मार्शल आर्ट स्पोर्ट है जो आपके शरीर को मजबूत बनाने का काम करता है। मार्शल आर्ट करने से व्यक्ति कई तरह की बीमारियों से बच सकता है, साथ ही इससे शरीर में रक्त का प्रवाह भी बेहतर होता है।
किक बॉक्सिंग की शुरुआत सबसे पहले जापान में 1930 में हुई थी। इसे अमेरिका में 70 के दशक में पेश किया गया था। ध्यान दें कि जापानी किकबॉक्सिंग, अमेरिकन किकबॉक्सिंग, मॉय थाई या थाई किकबॉक्सिंग के साथ किकबॉक्सिंग के कई अलग-अलग प्रारूप हैं।
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