वायु सेना का अपना उपग्रह: भारतीय वायुसेना को अपना पहला सैटेलाइट मिलने जा रहा है. GSAT-7C नाम के इस सैटेलाइट की कीमत करीब 2236 करोड़ रुपये है और इसे पूरी तरह से भारत में बनाने के बाद ही इसे भारत से लॉन्च किया जाएगा. इस संबंध में रक्षा मंत्रालय ने ही देश का पहला सैन्य-उपग्रह खरीदने को अहम मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में रक्षा अधिग्रहण (खरीद) परिषद की अहम बैठक हुई. बैठक में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना के आधुनिकीकरण और संचालन संबंधी जरूरतों के लिए मेक इन इंडिया के तहत 2236 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
इस प्रस्ताव में GSAT-7C सैटेलाइट और ग्राउंड-हब शामिल है। इस सैटेलाइट और ग्राउंड हब का इस्तेमाल सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एसडीआर) की रीयल टाइम कनेक्टिविटी के लिए किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, जीसैट-7सी उपग्रह सशस्त्र बलों की ‘दृष्टि की रेखा’ से परे संचार को अधिक सुरक्षित और मजबूत बना देगा।
आपको बता दें कि हाल ही में वायु सेना प्रमुख वीआर चौधरी ने कहा था कि भारत के भू-रणनीतिक उपग्रह भी बलों की सभी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। उस समय वे वायु सेना के सह-प्रमुख (उप प्रमुख) के पद पर थे। एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा था कि भारत में पूरा स्पेस इको-सिस्टम ‘सिविल’ सिस्टम का है। इसमें सैन्य-भागीदारी का अभाव है। ऐसे में देश में सशस्त्र बलों के लिए अगली पीढ़ी की अंतरिक्ष तकनीक का अभाव है। लेकिन, GSAT-7C ने अब देश के लिए पहला सैन्य-उपग्रह प्राप्त करने का रास्ता खोल दिया है।
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