प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बैंक धोखाधड़ी मामले में एग्नाइट एजुकेशन लिमिटेड कंपनी और उसके निदेशकों के मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत लगभग 269 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। आरोप है कि बैंक द्वारा की गई धोखाधड़ी के जरिए विदेशों में चल-अचल संपत्तियां सृजित की गईं।
प्रवर्तन निदेशालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इग्नाइट एजुकेशन लिमिटेड को पहले टैली डेटा इंफॉर्मेटिक्स लिमिटेड के नाम से जाना जाता था। सीबीआई, बैंगलोर की बैंक विरोधी धोखाधड़ी शाखा द्वारा कंपनी और उसके निदेशकों के बालासुब्रमण्यम और के पदनाभन और उसके सहयोगियों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इस मामले में यह आरोप लगाया गया था कि इस कंपनी ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से विभिन्न ऋण सुविधाओं का लाभ उठाया और बैंक से 479 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। आरोप है कि इस कंपनी और उसकी अनुषंगियों ने बैंक से धोखाधड़ी के माध्यम से प्राप्त धन से विदेश में पांच एलपीजी कैरियरशिप, एक तेल टैंकर और बैंक बैलेंस के रूप में चल संपत्ति अर्जित की।
आरोप के मुताबिक इन लोगों द्वारा बैंक से कर्ज लेने के लिए जमा कराए गए बैलेंस शीट में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की गई, ताकि उन्हें आसानी से कर्ज मिल सके.
यह भी आरोप है कि इस कंपनी और इसकी सहायक कंपनियों ने कई फर्जी कंपनियों के जरिए बैंक से फर्जी रकम भेजकर ऑस्ट्रिया, थाईलैंड और बांग्लादेश में मनी लॉन्ड्रिंग की.
मामले की जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत शुरुआत में इस कंपनी और इसकी सहयोगी कंपनियों की करीब 269 करोड़ रुपये की चल संपत्ति कुर्क की है. मामले की जांच की जा रही है। इस मामले में ईडी बैंक अधिकारियों समेत कई लोगों से पूछताछ करने की तैयारी कर रहा है.
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