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अभिषेक बच्चन को 1.25 लाख पाउंड देते हुए पकड़ी गईं ऐश्वर्या राय, ससुर अमिताभ बच्चन भी सवालों के घेरे में

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ईडी ने ऐश्वर्या राय से की पूछताछ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फिल्म अभिनेत्री ऐश्वर्या राय से 6 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की। इस दौरान निदेशालय ने जानना चाहा कि साल 2012 में उन्होंने अपने पति अभिषेक बच्चन को जो लाखों पाउंड भेजे थे, उनका सोर्स क्या था? इसके साथ ही ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स स्थित एक कंपनी में डायरेक्टर होने को लेकर भी सवाल पूछे गए।

साढ़े छह घंटे से अधिक चली लंबी पूछताछ के बाद जब ऐश्वर्या राय बच्चन दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय से बाहर आईं तो उनके चेहरे पर कुछ तनाव भी था। तनाव शायद इसलिए है क्योंकि इससे पहले दो बार ईडी ने ऐश्वर्या राय बच्चन को पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन दोनों ही मौकों पर ऐश्वर्या राय बच्चन प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश नहीं हुईं।

मामला 2016-17 के पनामा पेपर्स लीक मामले से जुड़ा है जिसमें ऐश्वर्या राय बच्चन के अलावा उनके ससुर और मशहूर फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन भी आरोपी थे। ईडी सूत्रों के मुताबिक ऐश्वर्या राय बच्चन को आज यानि 20 दिसंबर को पेश होने के लिए तीसरा नोटिस दिया गया, जिसके तहत उन्हें सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे के बीच ईडी कार्यालय में पेश होना था.

सूत्रों ने कहा कि ऐश्वर्या राय बच्चन आज भी ईडी कार्यालय नहीं आना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने शुरुआती घंटों में व्यस्त होने का हवाला दिया लेकिन ईडी अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि उन्हें पूछताछ के लिए ही कार्यालय आना होगा। इसके बाद दोपहर करीब 12:30 बजे ऐश्वर्या राय बच्चन ईडी ऑफिस में नजर आईं।

ईडी के सूत्रों के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी जानना चाहते थे कि मार्च 2012 में उसने अपने पति अभिषेक बच्चन को 1.25 लाख पाउंड की राशि दी थी। साथ ही उन्होंने यह पैसा देने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से इजाजत ली थी या नहीं? ईडी ऐश्वर्या राय बच्चन के बयानों का आकलन कर रही है और जरूरत पड़ने पर उन्हें फिर से पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है.

पनामा पेपर्स लीक मामला सिर्फ ऐश्वर्या राय बच्चन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके आरोपों की तार उनके ससुर और मशहूर फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन तक भी पहुंच चुकी है. 2016-17 के पनामा पेपर्स लीक मामले में सामने आए दस्तावेजों में अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन पर कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है और इस रिपोर्ट के आधार पर ईडी ने फेमा के तहत जांच शुरू की.

सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में ईडी को मिली भारतीय रिजर्व बैंक की गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक दस्तावेजों से पता चलता है कि अमिताभ बच्चन 2007 से 2014-15 के बीच अच्छी खासी रकम लेकर विदेश गए थे. नियम के मुताबिक 2013 के पहले साल में लोग दो लाख डॉलर से ज्यादा लेकर विदेश नहीं जा सकते थे, लेकिन रिपोर्ट कहती है कि अमिताभ बच्चन इस नियम का उल्लंघन करते रहे.

दस्तावेजों में लगे आरोपों के मुताबिक अमिताभ बच्चन ने इस दौरान कई देशों की यात्रा की और कुछ कंपनियों में पैसा भी लगाया. 2013 के बाद विदेश ले जाने वाली राशि दो लाख से घटाकर 75,000 डॉलर कर दी गई। दस्तावेजों का कहना है कि इसके बावजूद अमिताभ बच्चन साल 2014-15 में 2 लाख 34 हजार डॉलर से ज्यादा की रकम लेकर विदेश गए थे.

पनामा पेपर्स लीक के अनुसार, जिस कंपनी में ऐश्वर्या राय बच्चन पर निदेशक होने का आरोप लगाया जा रहा है, वह एमिक पार्टनर्स थी, जो 2004 में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में पंजीकृत कंपनी थी। लॉ फर्म मोसैक फोन्सेका ने कंपनी को पंजीकृत किया था। इस कंपनी के निदेशक ऐश्वर्या राय, उनकी मां कविता राय और उनके भाई आदित्य राय थे।

आरोप के अनुसार, कंपनी के पास 50,000 डॉलर की पूंजी थी और इसके प्रत्येक निदेशक के पास बड़ी संख्या में शेयर थे। आरोप के मुताबिक जून 2005 में ऐश्वर्या राय का स्टेटस बदलकर शेयरहोल्डर कर दिया गया था। अभिषेक बच्चन से शादी के एक साल बाद फर्म को बंद करने का सिलसिला शुरू हो गया।

सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों ने जानना चाहा कि इस कंपनी को शुरू करने के लिए पैसा कहां से आया और साल 2005 में ऐश्वर्या राय बच्चन का स्टेटस डायरेक्टर से शेयरहोल्डर में क्यों बदला गया? उन्हें क्या फायदा हुआ, क्या इसके लिए कानूनी अनुमति ली गई थी?

ईडी सूत्रों ने बताया कि इस मामले की जांच 4 साल पहले शुरू की गई थी और इस जांच के दौरान अभिनेता अभिषेक बच्चन से भी एक बार पूछताछ हो चुकी है. सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में ज्यादातर यह देखने को मिला कि बच्चन परिवार ने कानूनी सहमति नहीं ली थी। जिससे फेमा के तहत उन पर नियमित जांच शुरू की गई।

ईडी जानना चाहता है कि आखिर वो कौन से कारण थे जिनकी वजह से ऐश्वर्या को एक छत और एक पते पर रहने के बावजूद अभिषेक को विदेशी मुद्रा भेजनी पड़ी। फिलहाल इन सभी मामलों में जांच एजेंसियों की कार्रवाई चल रही है और अगर ईडी इन लोगों के जवाबों से संतुष्ट नहीं होता है तो ईडी इन लोगों पर तीन सौ फीसदी तक का जुर्माना लगा सकता है.

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