किसानों का विरोध : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान कर दिया हो, लेकिन दिल्ली की सीमा पर किसानों का आंदोलन अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है. 26 नवंबर को यह आंदोलन साल भर हो रहा है, इसलिए किसान संगठनों ने इसी को देखते हुए 26 नवंबर को बड़ी संख्या में किसानों को दिल्ली की सीमा पर पहुंचने का आह्वान किया है. किसान संगठनों के इस आह्वान को देखते हुए अब एक बार फिर दिल्ली की सीमा पर बड़ी संख्या में बैरिकेड्स लगने लगे हैं और सुरक्षा बलों की तैनाती भी बढ़ गई है.
किसान नेता राकेश टिकैत पिछले एक साल से दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे हैं और किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. कुछ महीने पहले तक यहां बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात रहते थे और सड़कों पर बेरिकेड्स भी नजर आते थे, लेकिन पिछले कुछ महीनों में सुरक्षा बलों की तैनाती भी कम हुई और बेरिकेड्स भी हटाकर एक तरफ रख दिया गया. लेकिन अब एक बार फिर वे बेरिकेड्स के बीच सड़क पर हैं. सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ने और हाईवे पर बेरिकेड्स के बीच आने का कारण किसान संगठनों का वह ऐलान है जिसमें किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमा पर एक बार फिर से आंदोलनकारी किसानों को लामबंद करने का आह्वान किया है. आंदोलन के 1 वर्ष पूरे होने के अवसर पर।
दिल्ली की सीमा पर शुरू हुए किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने के मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा ने विभिन्न कार्यक्रमों की घोषणा की है. उन्हीं कार्यक्रमों में से एक यह भी है कि जो किसान आंदोलन से शुरू से जुड़े रहे हैं और फिलहाल अपने गांव वापस चले गए हैं, उनसे एक बार फिर दिल्ली की सीमा पर पहुंचकर आंदोलन को तेज करने की अपील की गई है. क्योंकि अभी केंद्र सरकार ने एमएसपी को लेकर किसान संगठनों की मांग पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है.
जब से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की है, किसान नेता राकेश टिकैत बार-बार दोहरा रहे हैं कि एक मांग पूरी हो गई है लेकिन अभी भी कुछ और मांगें हैं जब तक कि उन मांगों को पूरा नहीं किया जाता है और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। . जब तक ठोस आश्वासन नहीं दिया जाता तब तक किसानों का आंदोलन इसी तरह चलता रहेगा।
इन सबके बीच राकेश टिकैत ने 29 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन संसद के घेराव के लिए 50 से अधिक ट्रैक्टर लेने का भी ऐलान किया है, जो प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के सामने भी एक बड़ी चुनौती है. क्योंकि इसी साल 26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर हजारों ट्रैक्टर आने के बाद सामने आई तस्वीरों ने देश को दुनिया के सामने शर्मसार कर दिया था. इसलिए राकेश टिकैत के इस ऐलान के बाद फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां भी अपने पहले के अनुभवों को देखते हुए इस बार अपनी तैयारियों को मजबूत कर रही हैं.
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