दक्षिण अफ्रीका के लिए अच्छी खबर: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और कोरोना विशेषज्ञ लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कोविड-19 का नया संस्करण ‘सुपर माइल्ड’ है और इससे दक्षिण अफ्रीका में कहीं भी मौत का आंकड़ा नहीं बढ़ा है। डब्ल्यूएचओ ने अन्य देशों से कहा है कि यह वेरिएंट डेल्टा की तरह घातक नहीं है। ऐसे में देशों को अफ्रीकी देशों पर लगाए गए प्रतिबंधों को वापस लेना चाहिए। डब्ल्यूएचओ की ओर से यह भी कहा गया है कि यह भी एक सच्चाई है कि अस्पताल में भर्ती होने या ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण होने वाली मौतों की सूचना नहीं मिली है।
दक्षिणी अफ्रीका के अस्पतालों और डॉक्टरों के अनुसार, अधिकांश रोगियों ने केवल गंभीर सिरदर्द, चक्कर आना और उच्च नाड़ी दर का अनुभव किया है। कोरोना के नए रूप ने पूरी दुनिया में खौफ पैदा कर दिया है। इसके चलते दर्जनों देशों ने अफ्रीका के देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया है। ब्रिटेन, अमेरिका, यूरोपीय संघ, इज़राइल, ऑस्ट्रेलिया और जापान में अफ्रीकी देशों से आने वाले लोगों को उच्च निगरानी का सामना करना पड़ रहा है। जर्मनी, इटली, केज रिपब्लिक, इजरायल और भारत जैसे देशों में नए कोविड वेरिएंट के मामले पाए गए हैं।
यात्रा प्रतिबंध सही नहीं
साउथ अफ्रीकन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार, यह चिकित्सकीय रूप से सही नहीं है। एसोसिएशन के डॉक्टर के मुताबिक, हम नए स्ट्रेन के हल्के लक्षणों को देख रहे हैं और उनका अध्ययन कर रहे हैं। जब हमने तनाव के कारण गंभीर रोगी नहीं देखे हैं, तो एकाएक घबराने की जरूरत नहीं है।
दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री का दावा
दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री जो फाला ने कहा है कि दक्षिण अफ्रीका में डॉक्टरों ने ओमाइक्रोन वैरिएंट के जितने भी मरीज देखे हैं उनमें बहुत हल्के लक्षण हैं। लक्षण दिखाने वाले ज्यादातर मरीज युवा हैं। इनमें किसी तरह की छोटी, या टेस्ट जाने की कोई शिकायत नहीं मिली है।
यात्रा प्रतिबंध हमारी सिफारिश नहीं
वहीं, डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि हल्के लक्षणों के बाद भी अफ्रीका पर प्रतिबंध चरम पर है। डब्ल्यूएचओ के यूरोप के क्षेत्रीय कार्यालय में वरिष्ठ आपातकालीन अधिकारी डॉ कैथरीन स्मॉलवुड ने कहा कि इस तरह के हस्तक्षेप टिकाऊ नहीं हैं। इस तरह के उपाय हमारी सिफारिशों में शामिल नहीं हैं।
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